Dada Maharaj Narsinghpur | दादा महाराज, दूल्हा देव मंदिर नरसिंहपुर

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नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक नगर है जो अपनी धार्मिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। यहाँ स्थित दादा महाराज और दूल्हा देव का मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर न केवल अपनी मान्यताओं के लिए बल्कि अपने चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध है।

दादा महाराज दूल्हादेव मंदिर: एक चमत्कारी स्थल

नरसिंहपुर शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर, झांसी-नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 44) पर डोकरघाट के पास दादा महाराज का प्राचीन मंदिर स्थित है। इसे दूल्हा देव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पूरे मध्य प्रदेश के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

प्रमुख मान्यताएं और चमत्कार:

  • अखंडित अस्तित्व: इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार इसके निर्माण से जुड़ा है। जब राष्ट्रीय राजमार्ग का चौड़ीकरण हो रहा था, तब यह मंदिर मार्ग के बीच में आ रहा था। कहा जाता है कि बड़ी-बड़ी आधुनिक मशीनें भी इस मंदिर की एक ईंट तक नहीं हिला सकीं। कई प्रयास विफल होने के बाद, अंततः मंदिर को अपने स्थान पर ही रहने दिया गया और राजमार्ग पर एक फ्लाईओवर का निर्माण किया गया। यह घटना आज भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय है।
  • मनोकामना पूर्ति का केंद्र: भक्तों का मानना है कि दादा महाराज के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। विशेषकर, निःसंतान दंपत्तियों को यहां संतान सुख की प्राप्ति होती है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु यहां भंडारा करवाते हैं।
  • भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति: ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से पीड़ित लोगों को मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि दूल्हा देव महाराज की कृपा से ऐसी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं।
  • शनिवार का विशेष महत्व: प्रत्येक शनिवार को यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है और एक मेले जैसा माहौल होता है। इस दिन 20 से 25 हजार भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

दूल्हा देव का इतिहास:

दूल्हा देव को बुंदेलखंड के एक प्रसिद्ध चमत्कारी और जीवंत लोक देवता “लाला हरदौल” के नाम से भी जाना जाता है। लाला हरदौल 16वीं शताब्दी में ओरछा के राजा वीर सिंह के पुत्र थे। वे अपनी बहादुरी और माँ विंध्यवासिनी की भक्ति के लिए जाने जाते थे।

कैसे पहुंचें:

यह मंदिर नरसिंहपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबलपुर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।

दादा महाराज और दूल्हा देव का यह मंदिर आस्था, चमत्कार और इतिहास का एक अनूठा संगम है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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